टीएमटी (ट्रेडमिल टेस्ट) के बाद किन मरीजों को एंजियोग्राफी करानी चाहिए?

टीएमटी (Treadmill Test) या स्ट्रेस टेस्ट दिल की सेहत का आकलन करने का एक गैर-इनवेसिव तरीका है। यह टेस्ट शारीरिक गतिविधि के दौरान दिल की कार्यक्षमता, रक्तसंचार, और इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मॉनिटर करता है। अगर टीएमटी के नतीजे संदिग्ध या पॉजिटिव आते हैं, तो एंजियोग्राफी (कोरोनरी एंजियोग्राफी) की सलाह दी जाती है, जो हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज की सटीक जानकारी देती है। आइए जानते हैं कि किन परिस्थितियों में टीएमटी के बाद एंजियोग्राफी जरूरी हो जाती है।

Dr Deepak Kumar, MBBS, MD (Medicine ), DM (Cardiology)

3/5/20251 मिनट पढ़ें

1. टीएमटी पॉजिटिव आने पर (Positive TMT Result)

अगर टीएमटी के दौरान निम्न लक्षण दिखें, तो एंजियोग्राफी की आवश्यकता होती है:

  • ST सेगमेंट में गिरावट (ST Depression): इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) पर ST सेगमेंट में 2mm से अधिक की गिरावट दिल की मांसपेशियों में रक्त की कमी (इस्कीमिया) का संकेत है।

  • छाती में दर्द (Angina): टेस्ट के दौरान या बाद में तीव्र सीने में दर्द या भारीपन महसूस होना।

  • ब्लड प्रेशर में गिरावट: एक्सरसाइज के दौरान ब्लड प्रेशर का अचानक कम होना हृदय की पंपिंग क्षमता में कमी दर्शाता है।

  • असामान्य हृदय गति (Arrhythmias): वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया जैसी जानलेवा धड़कनों का होना।

उदाहरण: एक 55 वर्षीय पुरुष जिसे टीएमटी के दौरान सीने में दर्द और 3mm ST डिप्रेशन हुआ, उसे तुरंत एंजियोग्राफी करानी चाहिए।

2. हाई-रिस्क पेशेंट्स में पॉजिटिव टीएमटी (High-Risk Patients)

कुछ मरीजों में टीएमटी पॉजिटिव आने पर एंजियोग्राफी और भी जरूरी हो जाती है, खासकर अगर उनमें निम्न जोखिम कारक हों:

  • मधुमेह (Diabetes): डायबिटीज से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

  • उच्च रक्तचाप (Hypertension): लंबे समय तक हाई बीपी से धमनियां कमजोर होती हैं।

  • धूम्रपान या कोलेस्ट्रॉल: इनसे प्लाक जमाव की संभावना अधिक होती है।

  • परिवार में हृदय रोग का इतिहास: जेनेटिक प्रीडिस्पोजिशन होने पर।

नोट: ऐसे मरीजों में एंजियोग्राफी से ब्लॉकेज की पुष्टि करके स्टेंट या बाईपास सर्जरी की योजना बनाई जा सकती है।

3. टीएमटी इनकंक्लूसिव होने पर (Inconclusive TMT)

कभी-कभी टीएमटी के नतीजे स्पष्ट नहीं होते, जैसे:

  • अपूर्ण टेस्ट: मरीज शारीरिक कमजोरी या सांस की तकलीफ के कारण टेस्ट पूरा न कर पाए।

  • ECG में असामान्यताएं: पहले से मौजूद बंडल ब्रांच ब्लॉक (BBB) या दवाओं का प्रभाव।

  • लक्षणों के बावजूद नेगेटिव टीएमटी: मरीज को सीने में दर्द है, लेकिन टीएमटी नॉर्मल आया है।

इन मामलों में, अगर लक्षण गंभीर हैं या जोखिम कारक मौजूद हैं, तो एंजियोग्राफी से सही निदान हो सकता है।

4. नेगेटिव टीएमटी के बाद भी लक्षणों का बने रहना

कुछ मरीजों को टीएमटी नेगेटिव आने के बाद भी सीने में दर्द, सांस फूलना, या थकान होती है। यह निम्न कारणों से हो सकता है:

  • माइक्रोवैस्कुलर डिजीज: छोटी धमनियों में ब्लॉकेज, जो टीएमटी में नहीं दिखता।

  • वैसोस्पास्टिक एनजाइना: धमनियों का अस्थायी संकुचन, जो टेस्ट के समय नहीं हुआ।

  • गलत नेगेटिव रिजल्ट: मरीज ने पर्याप्त एक्सरसाइज नहीं की या दवाओं का प्रभाव।

ऐसे में, लक्षणों की गंभीरता और रिस्क फैक्टर्स के आधार पर एंजियोग्राफी की सलाह दी जाती है।

5. पहले से हृदय रोग या इलाज का इतिहास (Prior Cardiac History)

जिन मरीजों को पहले हार्ट अटैक, एंजियोप्लास्टी, या बाईपास सर्जरी हुई है, उनमें टीएमटी पॉजिटिव आने पर एंजियोग्राफी जरूरी है। इससे नए ब्लॉकेज या स्टेंट में रिस्टेनोसिस की जांच की जाती है।

उदाहरण: एक मरीज जिसे 2 साल पहले स्टेंट लगा था, अगर उसे फिर से सीने में दर्द हो और टीएमटी पॉजिटिव आए, तो एंजियोग्राफी से स्टेंट की स्थिति देखी जा सकती है।

6. हाई-रिस्क सर्जरी से पहले एवैल्यूएशन (Pre-Operative Assessment)

कुछ बड़ी सर्जरी (जैसे हिप रिप्लेसमेंट, मेजर एब्डॉमिनल सर्जरी) से पहले हृदय की जांच की जाती है। अगर टीएमटी पॉजिटिव आता है, तो सर्जरी से पहले एंजियोग्राफी करके हृदय जोखिम कम किया जाता है।

7. अनियमित हृदय गति या ब्लड प्रेशर रिस्पॉन्स (Abnormal Vital Signs)

  • अचानक हृदय गति का धीमा या तेज होना।

  • एक्सरसाइज के बाद लंबे समय तक ST सेगमेंट में बदलाव।

  • ब्लड प्रेशर का सामान्य से अधिक बढ़ना (Hypertensive Response)।

इन असामान्यताओं से हृदय की गंभीर बीमारी का पता चलता है, जिसके लिए एंजियोग्राफी जरूरी है।

8. युवा मरीजों में लक्षणों की गंभीरता (Young Patients with Severe Symptoms)

40 साल से कम उम्र के मरीजों में अगर सीने में दर्द, चक्कर, या बेहोशी जैसे लक्षण हों और टीएमटी पॉजिटिव आए, तो एंजियोग्राफी से जन्मजात धमनी विकृतियों (Congenital Anomalies) का पता लगाया जा सकता है।

एंजियोग्राफी के विकल्प (Alternatives to Angiography)

  • CT कोरोनरी एंजियोग्राफी: गैर-इनवेसिव तरीका, जो कैल्शियम स्कोर और प्लाक की जानकारी देता है।

  • स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राफी: अल्ट्रासाउंड से एक्सरसाइज के दौरान हृदय की गति देखी जाती है।

  • न्यूक्लियर स्ट्रेस टेस्ट: रेडियोएक्टिव डाई से रक्त प्रवाह का आकलन।

हालांकि, इन टेस्ट्स के बाद भी अगर संदेह बना रहे, तो एंजियोग्राफी अंतिम विकल्प है।

निष्कर्ष:

टीएमटी के बाद एंजियोग्राफी कराने का निर्णय रोगी की उम्र, लक्षणों की तीव्रता, जोखिम कारकों, और टेस्ट के नतीजों पर निर्भर करता है। यह प्रक्रिया न केवल ब्लॉकेज की पुष्टि करती है, बल्कि उपचार (दवाएं, एंजियोप्लास्टी, या सर्जरी) की रणनीति भी तय करती है। हालांकि, अंतिम निर्णय हमेशा कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा रोगी की समग्र स्थिति को ध्यान में रखकर ही लिया जाना चाहिए। समय पर एंजियोग्राफी कराने से हार्ट अटैक जैसी जटिलताओं को रोका जा सकता है।