पेसमेकर धारकों के लिए जानकारी: पेसमेकर प्रोग्रामिंग कब और क्यों जरूरी है?
आज के समय में पेसमेकर (हृदय गति नियंत्रक) दिल के मरीजों के लिए एक जीवनरक्षक उपकरण साबित हुआ है। यह दिल की अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करके रोगियों को सामान्य जीवन जीने में मदद करता है। हालाँकि, पेसमेकर लगवाने के बाद भी नियमित जाँच और "प्रोग्रामिंग" की आवश्यकता होती है। यह लेख पेसमेकर प्रयोग करने वाले लोगों को यह समझने में मदद करेगा कि पेसमेकर प्रोग्रामिंग कब और क्यों करवानी चाहिए।
Dr Deepak Kumar MBBS, MD Medicine, DM Cardiology
3/4/20251 मिनट पढ़ें


पेसमेकर प्रोग्रामिंग क्या है?
पेसमेकर प्रोग्रामिंग एक साधारण प्रक्रिया है, जिसमें डॉक्टर एक विशेष मशीन (प्रोग्रामर) की मदद से पेसमेकर की सेटिंग्स को समय-समय पर एडजस्ट करते हैं। इसमें दिल की धड़कन की गति, ऊर्जा की खपत, और अन्य पैरामीटर्स को व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार बदला जाता है।
पेसमेकर प्रोग्रामिंग कब करवाएँ?
पेसमेकर लगवाने के तुरंत बाद
पेसमेकर इम्प्लांट के 4-6 सप्ताह बाद प्रोग्रामिंग जरूरी होती है। इस दौरान डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि पेसमेकर सही ढंग से काम कर रहा है और दिल की जरूरतों के अनुसार सेटिंग्स ठीक हैं।
नियमित फॉलो-अप के दौरान
आमतौर पर साल में 1-2 बार (6-12 महीने के अंतराल पर) पेसमेकर की जाँच करवानी चाहिए। डॉक्टर बैटरी लाइफ, हृदय गति का डेटा, और उपकरण की कार्यक्षमता की समीक्षा करते हैं।
शारीरिक समस्याएँ होने पर
अगर आपको चक्कर आना, सीने में दर्द, थकान, या बेहोशी जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हो सकता है पेसमेकर को नई सेटिंग्स की जरूरत हो।
बैटरी लो होने पर
पेसमेकर की बैटरी आमतौर पर 5-15 साल तक चलती है। बैटरी कमजोर होने पर प्रोग्रामिंग के जरिए इसकी जानकारी मिलती है, और समय रहते इसे बदला जा सकता है।
मेडिकल प्रोसीजर से पहले
अगर आपको सर्जरी, MRI, या कोई अन्य चिकित्सा प्रक्रिया करानी हो, तो पहले पेसमेकर की सेटिंग्स को एडजस्ट करना पड़ सकता है। ऐसा न करने पर पेसमेकर के काम में रुकावट आ सकती है।
जीवनशैली में बदलाव आने पर
अगर आपकी दिनचर्या, शारीरिक गतिविधि, या दवाइयों में कोई बड़ा बदलाव हुआ है, तो पेसमेकर सेटिंग्स को अपडेट करने की आवश्यकता हो सकती है।
आपातकालीन स्थिति में
दिल का दौरा पड़ने या गंभीर संक्रमण जैसी स्थितियों में पेसमेकर को री-प्रोग्राम करके हृदय की नई जरूरतों के अनुसार ढाला जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
पेसमेकर का कार्ड हमेशा अपने पास रखें, जिसमें उसकी कंपनी, मॉडल, और सेटिंग्स की जानकारी हो।
नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाएँ, भले ही आपको कोई लक्षण न दिखें।
पेसमेकर के आसपास चुंबकीय उपकरणों (जैसे मोबाइल, माइक्रोवेव) का उपयोग सावधानी से करें।
निष्कर्ष
पेसमेकर प्रोग्रामिंग इस उपकरण की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समय पर जाँच और सेटिंग्स में बदलाव करके आप लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। किसी भी शंका या समस्या पर अपने कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें।
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